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पोलीस शिपाई असणारे सूरजपाल जाटव कसे बनले 'भोले बाबा'?
आक्रमण के बाद उत्तरी भारत का बहुत सा हिस्सा प्रभावित हो गया था। और इससे उत्तर read more में कई राजवंशों के परस्पर युद्ध करने से बहुत से छोटे राज्यों का निर्माण हुआ। लेकिन हूँ की सेना ने इसके बाद डेक्कन प्लाटौ और दक्षिणी भारत पर आक्रमण नही किया था। इसीलिए भारत के यह भाग उस समय शांतिपूर्ण थे। लेकिन कोई भी हूँ की किस्मत के बारे में नही जानता था। कुछ इतिहासकारो के अनुसार समय के साथ-साथ वे भी भारतीय लोगो में ही शामिल हो गए थे।
शाहजहाँ कालीन शासन के हालात एवं अफसरों से संबंधित जानकारी तारीख-ए-शाहजहानी से मिलती है।
सूरी साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित पश्तून नस्ल के शेर शाह सूरी द्वारा स्थापित एक साम्राज्य था जो सन् १५४० से लेकर १५५७ तक चला। इस दौरान सूरी परिवार ने बाबर द्वारा स्थापित मुग़ल सल्तनत को भारत से बेदख़ल कर दिया और ईरान में शरण मांगने पर मजबूर कर दिया। हेमचंद्र विक्रमादित्य साम्राज्य[संपादित करें]
खुसरो शाह पर ग्याशुद्दीन तुगलक के विजय का वर्णन।
पाटण्यातील गांधी मैदानामध्ये दसरा उत्सव साजरा केला जात होता.
त्यांच्या कार्यक्रमात कशी झाली चेंगराचेंगरी?
मुलांना लांबचं दिसत नाहीये? लहान मुलांमध्ये चष्मा लागण्याचं प्रमाण वाढण्याची 'ही' आहेत कारणं
पाहता पाहता मृतांचा आकडा शंभरी पार गेला.
इन अभिलेखों के द्वारा तत्त्कालीन राजाओं की वंशावलियों और विजयों का ज्ञान होता है। रुद्रदामन् के गिरनार-अभिलेख में उसके साथ उसके दादा चष्टन् तथा पिता जयदामन् के नामों की भी जानकारी मिलती है। समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशस्ति में उसके विजय-अभियान का वर्णन है। यौधेय, कुणिंद, आर्जुनायन तथा मालव संघ के शासकों के सिक्कों पर ‘गण’ या ‘संघ’ शब्द स्पष्ट रूप से खुदा है, जिससे स्पष्ट है कि उस समय गणराज्यों का अस्तित्व बना हुआ था। मौर्य तथा गुप्त-सम्राटों के अभिलेखों से राजतंत्रा प्रणाली की शासन पद्धति के संबंध में ज्ञात होता है और पता चलता है कि साम्राज्य कई प्रांतों में बँटा होता था, जिसको ‘भुक्ति’ कहते थे।
ब्राह्मणों को वेदों के साथ सलंगन किया गया है, ब्राह्मण वेदों के ही भाग हैं।प्रत्येक वेद के ब्राह्मण अलग हैं। यह ब्राह्मण ग्रंथ गद्य शैली में हैं, इनमे विभिन्न विधि-विधानों तथा कर्मकांड का विस्तृत वर्णन है। ब्राह्मणों में वेदों का सार सरल शब्दों में दिया गया है, इन ब्राह्मण ग्रंथों की रचना विभिन्न ऋषियों द्वारा की गयी। ऐतरेय तथा शतपथ ब्राह्मण ग्रंथो के उदहारण हैं।
एक और इतिहासकार आरसी मजूमदार शेरशाह पर लिखी पुस्तक के एक अध्याय 'हेमू- अ फॉरगॉटेन हीरो' में लिखते हैं, पानीपथ की लड़ाई में एक दुर्घटना की वजह से हेमू की जीत हार में बदल गई, वर्ना उन्होंने दिल्ली में मुग़लों की जगह हिंदू राजवंश की नींव रखी होती। मुग़ल साम्राज्य[संपादित करें]
माना जा सकता है। इस प्रसिद्ध ग्रंथ में कश्मीर के नरेशों से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों का निष्पक्ष विवरण देने का प्रयास किया गया है। इसमें क्रमबद्धता का पूरी तरह निर्वाह किया गया है, किंतु सातवीं शताब्दी ई. के पूर्व के इतिहास से संबद्ध विवरण पूर्णतया विश्वसनीय नहीं हैं।
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