Not known Factual Statements About राजनीति विज्ञान

चंद्रगुप्त प्रथम द्वारा गुप्त युग की शुरुआत

इतिहासकारों ने तारीख-ए-शेरशाही को आधार बनाकर ही शेरशाह का इतिहास लिखा है। डॉ॰ निगम के अनुसार, ‘‘अब्बास खां ने अनेक घटनाओं से सम्बन्धित अपने सूचना स्रोतों का भी उल्लेख किया है। अतः इस पुस्तक के तथ्यों में कोई संदेह नहीं है। बड़ी-बड़ी घटनाओं की पुष्टि हुमायूं से सम्बन्धित अन्य इतिहासों से भी होती है। शेरशाह का सम्पूर्ण विवरण जितना विस्तारपूर्वक इस ग्रंथ में मिलता है, उतना किसी अन्य में नहीं।’’ अब्बास खां ने इस ग्रंथ को बड़ी बुद्धिमत्ता तथा सावधानी से लिखा है। उसने लिखा है कि, ‘‘जो कुछ इन विश्वसनीय पठानों के मुख से, जो साहित्य तथा इतिहास में निपुण थे और उनके राज्य के प्रारम्भ से अंत तक उनके साथ थे तथा विशेष सेवा के कारण विभूषित एवं सम्मानित थे, सुना था। अन्य मनुष्यों से जो कुछ छानबीन कर प्राप्त किया था, उसको मैंने लिखा। जो कुछ उनके विरूद्ध सुना था और जांच की कसौटी पर नहीं उतरा था, उसे त्याग दिया।’’

यजुर्वेद कर्मकाण्ड check here प्रधान ग्रन्थ है। इसका पाठ करने वाले ब्राह्मण को ‘अध्वर्य’ कहा जाता है।

सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से

२ करोड है। आर्थिक रूप से देखा जाए तो पर्यटन भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग $४०० करोड डालर प्रदान करता है। भारत के प्रमुख व्यापार सहयोगी हैं अमरीका, जापान, चीन और संयुक्त अरब अमीरात।

इंडियन हिस्ट्री इन हिंदी के इस ब्लॉग में आइए आधुनिक भारत का घटनाक्रम जानते है :-

पर्वत · हिमनद · ज्वालामुखी · घाटियां · नदियां · झीलें · मरुस्थल · द्वीप · जलप्रपात · सागरतट

↑ अ आ "रक्षा सेवाओं के लिए प्रावधान". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार.

‘तारीख-ए-मुबारकशाही’ या ‘तुजुक-ए-मुबारकशाही’ याहिया बिन अहमद सरहिंदी की रचना है, जो सैयद वंश के इतिहास की जानकारी का एकमात्र प्रामाणिक स्रोत है। सरहिंदी को सैयद वंश के सुल्तान मुबारकशाह का संरक्षण प्राप्त था और तारीख-ए-मुबारकशाही उसी को समर्पित है। इस ग्रंथ में सरहिंदी ने मुहम्मद गोरी से लेकर सैयद वंश के तीसरे सुल्तान मुहम्मद के शासनकाल तक का वर्णन किया है। याहिया एक सजग एवं ईमानदार इतिहासकार था, क्योंकि उसने तिथियों तथा घटनाओं के वर्णन में अतिरंजना और विशेषणों का प्रयोग नहीं किया है।

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चौसा में शेर खान द्वारा हुमायूँ की हार

तारीख-ए-फरिश्ता (मुहम्मद कासिम हिंदूशाह या फरिश्ता)

दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत खड़ी बोली और ब्रजभाषा का प्रयोग राजदरबार के साथ-साथ साहित्यिक रचनाओं में भी किया जाता था। इसी समय एक भाषा के रूप में राजस्थानी भाषा का भी विकास हुआ। इसी काल में ‘आल्हा-उदल’ और ‘विशालदेवरासो’ जैसी प्रसिद्ध राजस्थानी गाथाओं की रचना हुई। इसी काल में साहित्य की भाषा के रूप में अवधी का विकास हुआ, जिसका सबसे प्राचीन काव्य मुल्ला दाउद का ‘चंदायन’ है। मलिक मुहम्मद जायसी का ‘पद्मावत’ भी ऐतिहासिक दृष्टि से एक उपयोगी रचना है। इस प्रकार आरंभिक मध्यकाल की जानकारी के लिए संस्कृत और हिंदी के साथ-साथ कन्नड़ और तमिल भाषा के साहित्यिक ग्रंथ भी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं।

मुगलकालीन स्रोत इतिहास-ग्रंथ, संस्मरण और आत्मकथाएँ

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